4/09/2010

आनन्द मंगल

सदा  आनन्द मंगल में रहिये, सदा आनन्द मंगलमें रहिये !
महाप्रसाद और चरणामृत, ये सुख साथ ही में पाईए !!

इसक सुराही प्रेमका प्याला, अन्तर आतम छकि रहिये !
तन सोवे रूह निशदिन जागे, धामधनीके चरणों रहिये !!

अष्ट पहर दिन चौंसठ घडियां, निशदिन पीउ पीउ पीउ कहिए !
छत्रसाल भजो धाम धनीजीको, और देवनसों क्या चाहिये !!

श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
श्री अर्जुन राज
प्रणाम