दाहिनी तरफ दूजा जो मन्दिर, आय बैठे ताके अन्दर !
नीला ने पीला रंग, ताकी उठत कै तरंग !!
दोऊ रंगोंकी उठत झांई, इन मन्दिर दिवालोंके तांई !
पैठते दाहिने हाथ जो जाहीं, सेज्या है या मन्दिर माहीं !!
कै जिनस जडाव सिंघासन, राजश्यामजीके दोऊ आसन !
झरोखे को पीठ देवें, बैठे द्वार सनमुख लेवें !!
संग सखियां केतिक विराजे, या समय श्रीमंडल बाजे !
नवरंगबाई जो बजावें, मुख वाणी रसीली गावें !!
इत बाजत बेन रसाल, बेनबाई गावे गुणलाल !
सैयां एक निकसे एक पैठें, एक आवें उठें एक बैठें !!
इन समे भगवानजी इत, दरसनको आवें नित !
झरोखे सामी नजर करे, परनाम करके पीछे फिरे !!
इत और ना दूजा कोई, स्वरूप एक है लीला दोई !
भगवानजी खेलत बाल चरित्र, आप अपनी इच्छासों प्राकृत !!
कोटि ब्रह्माण्ड नजरोंमें आवें, खिनमें देखके पलमें उड़ावें !
और ये तो लीला किशोर, सैयां सुख लेवें अति जोर !!
ये लीला सुख केता कहूं, याको पार परमान न लहूं !!
इत खेलत जुत्थ सैयन, सदा आनन्द इन वतन !
मिने राज श्यामाजी दोय, सुख याही आतम सब कोय !!
श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
श्री अर्जुन राज
परणाम