4/13/2010

गृहस्थाश्रम वालोंके लिए

आचार संहिता
त्याग, तपस्या, आत्म चिन्तन एवं साक्षात्कारके द्वारा महापुरूषोंने जिस परम ( पद पूर्णब्रह्म परमात्मा एवं अखण्ड परमधाम ) को प्राप्त किया है, सामान्य व्यक्तिके लिए भी वह सुलभ बन सके इस उद्देश्यसे यह आचार संहिता उन्हीं महापुरूषों द्वारा निर्दिष्ट सोपानके आधार पर यहां प्रस्तुत की जा रही है.


गृहस्थाश्रम वालोंके लिए
शौच:-प्रात: ब्रहमुहूर्तमें उठकर शौचादि क्रियासे निवृत्त होकर स्नान करें.


सन्तोष:-सदैव धर्मप्रचार एवं समाज सेवाकी भावना रखते हुए धन लोलुपतासे दूर रहें.


स्वाध्याय:-सेवा पूजा, नित्य पाठ एवं श्री तारतम सागर का पाठ पारायण तथा मनन करते हुए आत्मा चिन्तन करें.


जप:-प्रात: सायं १०८ वार श्री तारतम महामन्त्रका जाप करें. एवं २५ पक्ष परमधामकी चिंतवनी करें.

प्रसाद ग्रहण:-चरणामृत प्रसाद लिए बिना अन्न ग्रहण न करें. परदेशमें महाप्रसाद साथमें रखें.

दर्शन:-अपने गांव अथवा शहरमें हो तो नित्यप्रति दर्शन करने जायें. ऐसा संभव न हो तो सप्ताह में एकबार अवश्य दर्शन करें.

सेवा:-सन्त गुरुजन तथा सुन्दरसाथकी यथा शक्ति सेवा करें. उनसे विनम्रता का व्यवहार करें. कभी अभिमान न दिखायें.

दान:-अपनी कमाईका दशा  प्रतिसत भाग परोपकार एवं सेवामें लगायें. तीर्थसे आए भेटियाको यथाशक्य तीर्थ भेंट दें.

भक्ति:-अपने इष्ट श्रीकृष्ण-श्रीराज श्यामाजीकी भक्ति अनन्यभावसे करें. जन्म, मृत्यु विवाह, यज्ञोपवित संस्कार आदि प्रसंगों पर अपने इष्टकी पूजा करें तथा स्थानीय प्रचलित मान्यताओंको भी ध्यानमें रखें.

तीर्थ दर्शन:-श्रीकृष्ण प्रणामी धर्म-निजानन्द संप्रदायके परमपावन तीर्थ श्री ५ नवतनपुरी धामके दर्शन जीवनमें अवश्य करें.

प्रणाम:-आपसमें मिलते समय छोटे बडोंका भेद-भाव न रखते हुए प्रणामका व्यवहार करें.

सत्संग:-उठते बैठते, चलते फिरते परमात्माका स्मरण करें. यथा संभव सन्त महात्माओं तथा धर्मप्रचारकोंसे धर्मचर्चा सुनें.

उपवास:-अष्टमी, चतुर्दशी तथा सतगुरुओंके जन्म तथा धामगमन तिथियों पर यथा शक्य उपवास करें.

अहिंसा:-मन, वचन कर्मसे अहिंसा व्रत पालन करें तथा प्राणी मात्रमें दया भाव रखें.

आहार शुद्धि:-शुद्ध सात्विक आहार ग्रहण करें. मांसाहार, मद्यपान, तम्बाकू जानी पदार्थों तथा मादक पदार्थोंका सेवन न करें.

आचरण:-हमेशा सत्य व्यवहार रखें. परस्त्रीको माता समझें एवं दुर्व्यसनोसे दूर रहें.

प्रायश्चित:- उपर्युक्त नियमोंमें भूल हो जाने पर श्री तारतम महामंत्रका जाप करें, उपवास करें तथा तीर्थमें जाकर सदगुरु सुन्दरसाथके बीच प्रायश्चित करें. प्रणाम !!

श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
श्री अर्जुन राज
प्रणाम