सैयां केतिक वनमें जावें, शाक पान मेवा सब ल्यावें !
घड़ी चार खेल तित करें, दिन पहोर चढ़ते आवें घरे !!
ये सब इच्छासों मंगावे, पर सखियों को सेवा भावे !
सैयां सेवा करन बेल ल्यावें, लेवें एक दूजी पी छिनावें !!
निकसते दाहिनी तरफ जो ठौर, सैयां आये बैठे चढ़ते दिन पोहोर !
मिलावा हॉट दिवालोंके आगे, सैयां पान बीडी वालने लागें !!
मसाला सम्हार सम्हार के लेवें, सखी एक दूजीको देवें !
डेढ़ पहोर चढ़ते दिन, बीडी वाली सैंयां सबन !!
बीडियोंकी छाब लेकर, धरीं पलंग टेल चौकी पर !
श्री राज बैठे बातां करें, श्री श्यामाजी चित्त धरें !!
सैयां परस पर करें हांस, लेवें धनीजी विविध विलास !
घड़ी दो एक तापर भई, लाडबाई आय यों कही !!
श्री धनीजीकी आज्ञा पाऊं, तो या समय रसोई ले आऊं !
श्री धनीजीयें आज्ञा करी, सैयां चौकी आन आगे धरी !!
सैयां दोय चाकले ल्याई, सो तो दोनों दिये बिछाई !
श्री राज उतारे वस्तर, पेहेनी पिछौरी कमर पर !!
श्री राज चाकले आये, श्री श्यामाजी संग सुहाये !
श्री राज पखाले हाथ, श्री श्यामाजी भी साथ !!
सैयां दौड़ दौड़ के जावें, आरोगनकी वसतां ल्यावें !
मेवा अन्न ने शाक मिठाई, कै विध सामग्री ले आई !!
एक ले चली साक कटौरी, तापै छीन ले चली दूसरी !
तिनथें झोंट ले चली तीसरी, चौथी वापै भी ले दौरी !!
जो कदी छीन लेत है जिनपें, पर रोष न काहूँ किनपें !
इतथें जो फिर कर गैयां, तिन और कटोरी जाये लियां !!
यों एक एक पे लेवें, हेत एक दूजीको देवें !
सब मंदिरों करे झनकार, स्वर उठत मधुर मनुहार !!
सैयां दौड़ात हैं सामसामी, शब्द रह्यो सबों ठौर जामी !
कै स्वर उठत भूषण, पडछंदे पड़े स्वर तिन !!
कै विध उठत मीठी बानी, मुख वरणी न जाय वखानी !
इन समाई की जो आवाज, शोभा धाममें रही विराज !!
दूध दधि ल्याई लाडबाई, सो तो लियो मनके भाई !
सब खेलें हांसी करें, आये आये धनीजीके आगे धरें !!
या समै दौड़त भूषण बाजे, पडछन्दे भोम सब गाजे !
झारी लेकर चुल्लू कराई, मुख हाथ रूमाल पुछाई !!
श्री श्यामाजी चुल्लू करी, दोय बीडी दो मुखमें धरी !
श्रीराज उठि बैठे सिंघासन, संग श्यामाजी उठे ततछिन !!
दोय आसन जोड़े आये, सैंया चोकी चाकले उठाये !
सैयां तले आरोगने गैयां, आरोग आये पान बीडी लियां !!
सेज्या आये श्री जुगल किशोर, तब दिन हुआ दो पहोर !
श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
श्री अर्जुन राज
प्रणाम