रविवार-१
जुगल स्वारूप रूप छबि छाजे,
सिंहासनके ऊपर विराजे !!
नाचत देत फेर आवत फेरी,
हंसी हंसी लालन मुख तन हेरी !!
गावत गीत बजावत बाजे,
जमुना तट वंशी धुनी गाजे !!
फूले फूल फूल लई आवें,
गुहि गुहि हार पियाको पहिरावें !!
देत परिक्रमा कर्म सब छूटे,
यह सुख पंचम निशदिन लुटे !!
सोमवार-२
पूरण ब्रह्म सच्चिदानन्द रूप,
संग श्यामाजी सोहे अनूप !!
चारों चरण सुन्दर सुखदाई,
भूषणकी शोभा मुख वरनी न जाई !!
झांझरी घुंघरी कांबी कडला अलेखे,
अनवट बिछुवा श्री श्यामजी विशेखे !!
निलो है चरनिया केसरी इजार,
श्वेत दावन झांई करे झलकार !!
चोली श्याम जादव साड़ी सेंदुरिया रंग राजे,
हैयड़े पर हार शोभा आधिक विराजे !!
जरी जामा श्वेत जडाव अंग सोहे,
नीलो पीलो पटुका देखत मन मोहे !!
जामा पर चादर रंग आसमानी,
छेडले किनार बेली जाय न बखानी !!
जरी पाग सेंदुरिया जगमग जोत,
राखडी कलंगी कही जाय न उद्योत !!
शब्दातीत पीया शोभा है अपार,
श्री महामति अंगना जाए बलिहार !!
मंगलवार-३
धामधनी श्री कृष्ण हमारे,
परम निधान परम रूप प्यारे !!
महाराजा मंगलरूप राजे,
श्याम श्यामजी दोऊ अनूप विराजे !!
पूरण अक्षर पद से न्यारे,
सोई जियावर धनीजी हमारे !!
प्रगटे पीया निज अदभुत सोई,
उपमा पार पावे नहीं कोई !!
परमानन्द जोड़ी सुखकारी,
अंगना पीया पर वारी वारी वारी !!
बुधवार-४
परम सुभग आनन्द गुण गाइए,
नवल किशोर निरखि सुख पाइये !!
धाम श्याम जीय मंगलकारी,
संग श्यामाजी दुलहिन पीया प्यारी !!
कुंज निकुंज मध्य क्रीडत कोहै,
ललित मनोहर सुन्दर सोहै !!
करत केल जमुना तट नेरे,
परम विचित्र जियावर मेरे !!
निज है स्वरूप रूप पीया राजे,
श्री महामति मदन कोटि छबि लाजे !!
गुरुवार-५
धाम श्याम श्यामाजी संग प्यारी,
ब्रह्मानन्द लीला निज न्यारी !!
सात घात जमुना जल राजे,
झीलत जुगल किशोर विराजे !!
सघन कुंज मध्य चातक बोले,
क्रीडत लाल लाडिली डोले !!
ताल पाल मध्य मोहोल सुहाये,
खेलन प्यारो प्यारी आये !!
लीला नित्य विहार स्वरूप पर,
भई श्री महामति कुरवान निरखि छबि !!
शुक्रवार-६
प्रथम भोम शोभा अति भारी,
बैठे सिंहासन श्री जुगल विहारी !!
सिंहासन कंचन मणि सोहे,
निरखि हरखी सखियां मन मोहे !!
सखियां सर्वे शोभा अति सुन्दर,
चौंसठ थंभ तकियोंके अन्दर !!
बस्तर भूषण तेज अति जोर,
ता मध्य बैठे श्री जुगल किशोर !!
जुगल किशोर शोभा किन विध गाइये,
श्री महामति जुगल पर वारी वारी जाइए !!
शनिवार-७
मूल स्वरूप किशोर किशोरी,
निरखी सखी सच्चिदानन्द जोरी !!
भोम तलेकी निरखी छबि न्यारी,
सोहें सिंहासन प्यारो प्यारी !!
श्वेत सेंदुर केसर आसमानी,
श्याम नीलो पीलो वस्त्र जामी !!
देखत खेल सनमुख सखी सारी,
निरखि सिनगार शोभा अति भारी !!
ब्रह्मानन्द लीला निज न्यारी,
निरखि श्री महामति नवरंग वारी !!
श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
अर्जुन राज
प्रणाम