4/07/2010

अथ सायंकालीन सेवापूजा:- स्तुति

स्तुति
वन्दौं सतगुरु चरनको, करूं प्रेम परनाम !
अशुभ हरण मंगल करन, श्री देवचन्द्रजी नाम !!

देवचन्द्रजीको दरश दियो, जो है पूरण रूप !
तारतमको तत्त्व कह्यो, हिरदे बैठे स्वरूप !!

धामधनी आनन्द हो, पावन पूरण नाम !
पदके परे परम पड, सो कहिये परनाम !!

गुरु कंचन गुरु पारस, गुरु चंदन परमान !
तुम सतगुरु दीपक भये, कियो जो आप समान !!

तुम सरूप तुममें स्वरूप, तुम स्वरूप के संग !
भेद तुम्हारो को लाखे, ब्रह्मानन्द रस रंग !!

तुम केवट भानु वा देशके, देउ चक्षु आप समान !
दृष्टि तुम्हारी क्यों रहे, संशय तिमिर अज्ञान !!

जेहि पड नारायण भजे, ब्रह्मा विष्णु महेश !
महाविष्णु वांछित सदा, मोहिं पहुँचाओ वा देश !!

काल कर्म भाव दुःख से, तुम्हीं छुडावन हार !
परमहंस पड देत हो, क्षर अक्षर के पार !!

क्षर अक्षर के पार है, अक्षरातीत आधार !
बिना सन्बन्ध न पाइये, कोटिन करे आचार !!

वेड थके ब्रह्मा थके, थकी गये शेष महेश !
गीताको जहां गम नहीं, वह सतगुरु को देश !!

चाँद सूरज को गम नहीं, नहिं पावकको काम !
पहुंचे सो आवे नहीं, सोई मुकुन्द निजधाम !!

श्री प्राणनाथ निज मूलपति, श्री मेहेराज सुनाम !
तेजकुंवरी श्यामा युगल, पल पल करूं परनाम !!

श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
श्री अर्जुन राज
परणाम