तीजी भोम की जो पडशाला, ठौर बड़े दरवाजे विशाला !
धनी आवत हैं उठ प्रात:, वन सींचत अमृत अघात !!
पसु पक्षियोंके मुजरा लेवें, सुख नज़रों सबोंको देवें !
पीछे बैठे करें सिनगार, सखियां करावें मनुहार !!
श्री श्यामाजी मन्दिर और, रंग आसमानी है वा ठौर !
चार चार सखियां सिनगार करावें !!
श्यामाजी श्री धनीजीके पासे आवें !
शोभा क्योंकर कहूँ या मुख, चित्तमें लिये हॉट हैं सुख !!
चित्त दे दे समारत सेंथी, हेत कर कर वेणी गूंथी !
मीनों मिने सिनगार करावें, एक दूजीको भूषण पहिरावें !!
साथ सिनगार करके आवें, जैसा धनीजीके मन भावें !
सैयां लटकतियाँ करें चाल, ज्यों धनी मन होत रसाल !!
सैयां आवत बोलेन वाणी, संग एक दूजी पे सयानी !
सैयां आवत करें झनकार, पाँव भूषण भोम थमकार !!
झलकतियां रे मलपतियां, रंग रसमें चैन करतियाँ !
कंठ कंठ में बाहों धरतियां, चित्त एक दूजीको हरातियाँ !!
सुंदरियां रे सोभतियाँ, एक दूजीको हांस हंसतियाँ !
कै फलंग दे उछलतियां, कै फूल लता जो फेरतियाँ !!
कै हलके हलके हालतियाँ, कै मालतियाँ मचकतियाँ !
कै आवत हैं ठेलतियाँ, जुत्थ जल लहेरां ज्यों लेवतियाँ !!
कै आवे भमरी फिरतियाँ, एक दूजी पर गिरतियाँ !
कै सीधियाँ सलकतियां, कै विध आवे जो चलतियाँ !!
सखी एक दूजीके आगे, आय आय के चरणों लागे !
इत बड़ा मिलावा होई, जुदी रहे न या समे कोई !!
कोई छज्जों कोई जालियों, कोई महलों कोई मालियों !
इत चार घड़ी लों श्री राज बैठें, मेवा मिठाई आरोगके उठे !!
श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
श्री अर्जुन राज
प्रणाम