4/01/2010

प्रभाती-२

जागिये श्री प्राणनाथ, प्रात: भयो प्यारे !! टेक !!

पूरण दिश उदय अरूण, सखियाँ सब ठाढ़ी शरण !
पक्षी उडी चले चरण, जागिए दुलारे !!

बैठे उठि नाथ सेज, अंग रंग सकल तेज !
झलकत छबि रेजारेज, भूषण संभारे !!

गौर लखी मुखारविन्द, विहंसत आनन्द कन्द !
बोलत स्वर मंद मंद, नेत्र तेज तारे !!

सोहत भुज बाजु बन्ध, कंठ हार सर प्रबन्ध !
वस्त्र छबि तड़ित मंद, अंग संग सारे !!

गावत जेहि अगम निगम, पावत नहिं सुर नर गम !
आये धरी देह सुगम, चौदे भवन तारे !!

ज्ञानदास निरखि वदन, लाजत छबि कोटि मदन !
आये सोई नन्द सदन, चरणन बलिहारे !!

श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
अर्जुन राज
परणाम