वंशी ध्वनी प्राण हरे, सुनत मुरली ध्वनी प्राण हरे !
गोप बधू श्रवनन सुनी धाई, टोना सहज परे !!
विसरी सुधि शरीर सजन पति, पिता पुत्र विसरे !
लोक लाज कुलकान विसरी गई, रही श्याम रट रे !!
वस्तर त्यागी नागिन उठि धाई, उलटे सिनगार करे !
चली चली गई जहां श्याम मनोहर, मुरली अधर धरे !!
लियो है लगाय श्याम उर अपने, विविध विलास करे !
दास मुकुन्द पीया मिलीं प्यारी, बहुरि न आई घरे !!
श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
श्री अर्जुन राज
प्रणाम