मारा वालाजी चलो जमुना जल झीलिये !! टेक !!
पाट घाट की देहरी में, जहाँ रामत कीजे राज !
रतन जड़ित के मोहोल में, कीजे रंग विलास !!
आप अकेले हूजिये, संग श्यामाजी साथ !
हमहुं बारे हजार मिलके, झीलें तुम्हारे पास !!
कुंज वनके रेतीमें, पीया चलो दौडिये जाय !
जो जाको छुई लेत हैं, सो ताके हाथ बिकाय !!
पीतांबर कटी काछनी काछे, सीस मुकुट लटकाये !
हेम कसबकी ओढनी ओढ़े, झांझरी घुंघरी घमकाये !!
फूलबाग और नूरबाग में, चलो पीया बैठिये जाय !
लहरी आवें सुगंधकी, बास रही माहकाय !!
बड़े बन और लाल चबूतरा, चलो बैठिये जाय !
पशु पक्षी मुजरेको आवें, नये नये खेल दिखाय !!
रसिक राज श्यामाजीके आगे, सखियां निरत कराय !
जापर चितवत हेतसों, देखत नयन सिराय !!
हंसिके राज खुशी भये, पहराये वनमाल !
सखी साकुंडल अरज करत हैं, बलि बलि राजकुमार !!
श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
श्री अर्जुन राज
परणाम