4/09/2010

पौढ़ावानी-४

राजाके गुण गाऊं, हैं अपने श्यामाके गुण गाऊं !
गुण गाऊं चरन चित लाऊं, बहुरि न भवजल आऊं !!

चुन चुन कलियाँ मैं सेज बिछाऊं, बंगलन फूल भराऊं !
सेज सुरंगी पर पियाजी पौढ़ाऊं, करसे बीडी आरोगाऊं !!

हेत करके तरवा सोहराऊं, करसों विंजना डोलाऊं !
मीठी मीठी बात करत पीया हमसों, सुन सुनके सुख पाऊं !!

कहत मुकुन्द पीया मिले हमसों, हंसी हंसी  कंठ लगाऊं !!

श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
श्री अर्जुन राज
प्रणाम