सुखको निधान, जय जय सुखको निधान !
मंगल आरती सुख को निधान !!
उठि बैठे सुख सेज्या श्री राज !
संग अर्धांग अली लिये लाज !!
रैनी जगे रग मग दोउ नैना !
बोलत बोल मधुर मुख बैन !!
निरखि निरखि हरशें ब्रह्मसृष्टि !
जुगल पियाजीसों जोड़े दृष्टि !!
उठि बैठे दोऊ सेज्या सुखदाई !
आरती साजी इन्द्रावती ल्याई !!
आरती वारती सखियां सर्वांग !
लेत वारने निज नवरंग !!
श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
अर्जुन राज
प्रणाम