4/01/2010

मंगल आरती

सुखको निधान, जय जय सुखको निधान !
मंगल आरती सुख को निधान !!

उठि बैठे सुख सेज्या श्री राज !
संग अर्धांग अली लिये लाज !!

रैनी जगे रग मग दोउ नैना !
बोलत बोल मधुर मुख बैन !!

निरखि निरखि हरशें ब्रह्मसृष्टि !
जुगल पियाजीसों जोड़े दृष्टि !!

उठि बैठे दोऊ सेज्या सुखदाई !
आरती साजी इन्द्रावती ल्याई !!

आरती वारती सखियां सर्वांग !
लेत वारने निज नवरंग !!

श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
अर्जुन राज
प्रणाम