4/08/2010

भोग-१

नंगन जड़ित चौकी पर दोऊ, श्रीजुगल स्वरूप विराजे !
धरो है थाल आगे हित चितसों, षटरस व्यंजन साजे !!

जेंवत जुगल जोड़ी सुख पावत, अचवाऊं ले जल झारी !
 लेत पान पावत हित चितसों, हिरदे सों हितकारी !!

कोटी जातां ब्रह्म करी थाके, सो जोथान नहिं पाये !
सो जूठन धनी सहज कृपासों, पंचम निशदिन पाये !!

श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
श्री अर्जुन राज
प्रणाम