पीया बीडी लई जिन हाथसों, शोभित पतली अंगूरी !
तिन बीच जोत नंगनकी, अति झलकत है मुंदरी !!
बीडी मुखमें मोरत, सुन्दर हरवटी हंसत !
शोभा इन मुख क्यों कहूं, जो बीचमें बात करत !!
एक लालक तम्बोलकी, क्यों कहूं अधुर दोऊ लाल !
दन्त शोभित मुख मोरत, खूबी ना इन मिसाल !!
लाल उज्वल दोऊ रंग लिये, बीडी लेत मुख अंगूरी नरम !
नेंक मुख मूंदे बोलत, अति सुन्दर मुख शरम !!
नेंक खोले अधुर मुख बोलत, करें प्यारी बातें कर प्यार !
सो सुख देत आसिककों, जिनको नहीं सुमार !!
सिनगार करें देहेलानमें, आरोगे और मन्दिर !
इतही दीदार नूरको, दिन पौढ़े पलंग अन्दर !!
श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
श्री अर्जुन राज
प्रणाम