पूर्णब्रह्म ब्रह्म से न्यारे, आनन्द अखंड अपारे !
शिव सनकादिक आदिके इच्छित, शेष न पावत पारे !!
अगम जानि के निगम कहाये, खोजी खोजी पचिहारे !
जानिके मूल धनी अंगना अपनी, सो घर आये हमारे !!
श्री ठकुराणीजी सखियन सुधां, लेकर संग पधारे !
त्रिगुण फांसके फंद परे थे, सो फंदा निरावारे !!
वारी वारी जाऊं मैं अपने पीया पर, शोभा मुखहुं न आवे !
सिंहासन आसन बैठारे, छत्रशाल गुण गावे !!
श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
श्री अर्जुन राज
प्रणाम