4/07/2010

आरती-२

कंचन थाल चहुं मुख दिवला, दीपक ज्योति प्रकाशी !
करत आरती जियावर रानी, आनन्द अंग उलासी !!

जुगलस्वरूप सुन्दर सुखदायक, श्याम धामधनी सोहें !
मंगल रसिक वदनकी शोभा, निरखंता मन मोहें !!

सखियां निरत करें और गावें, उमंग अंग अपार !
ताल मृदंग झांझ जंत्र बाजें सखियां, बोलत जय जयकार !!

वाढावे मुक्ताफल सखियां, जियावर श्याम सुहागी !
तन मन जीव निछावर कीन्हों, श्री महामति चरणो लागी !!

श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
श्री अर्जुन राज
प्रणाम