कोटि कोटि दण्डवत करूँ, कोटान कोट करूं परणाम !
कोटि कोटि विन्ती करूं, मेरे सुन्दरवर श्यामाजीवर श्याम !!
श्री राज श्री ठकुराणीजी प्रथम भोममें विराजमान भये ! तहाँ कंचन रंगको सिंहासन, तिनके छ: पाये छ: डांडे ! एक एक डांडेमें दश दश रंग, जवेरोंके झलकत हैं ! दो छत्री दो स्वरूपोंके ऊपर, दो फूल लाल माणिकके कमल के-से, नीलवी की पांखडी ! छत्रीके चारों तरफों जवेरोंकी झालर ! छ: डाडों पर छ: कलश ! दो कलश दोऊ छत्रियोंके ऊपर ! ये आठों कलश हेमके, उतरती कांगरी ! पशमी बिछौना, एक गादी दोय चाकले, तापर पांच तकिये ! श्री राज श्री ठकुराणीजी दो चाकले पर विराजमान भए ! कई चाकले चित्रकारी ! तापर बैठे श्री जुगल बिहारी ! दोऊ स्वरूप चित्तमें लीजे ! फेर फेर आत्माको दीजे ! आत्मासे न्यारे न कीजे अधछिन, फेर फेर कीजे दरसन, पहिले अंगूरी नख चरन, मस्तकलों कीजे वर्णन ! सब अंग वस्तर भूषण, शोभा जाने आत्माके लगन ! सुन्दर श्री ठकुराणीजीको सिनगार, सेंदुरिया रंग जडावकी साड़ी, श्याम रंग जडावकी कंचुकी, नीली लाहिको चरणीया ! श्री राजजीको सिनगार, सेंदुरियां रंग जडावको चीरा, आसमानी रंग जडावकी पिछौरी ! नीलो न पीलो बीचके रंगको पटुका, केसरिया रंग जडावकी ईजार, श्वेत रंग जडावको जामा ! श्री जुगल स्वरूपको मूल वागो, अद्वैतकी लाठी हाथमें लेयके, सब साथको परणाम !!
आनन्द मंगल श्रीधाम धनीजीकी जय,
श्रीयुगल किशोरकी जय,
श्रीवृन्दावन चंद्रजीकी जय,
श्रीरासके रामैयाकी जय,
श्रीहुकुमके स्वरूपकी जय,
धनी श्रीदेवचन्द्रजीकी जय,
श्रीजियावरजीकी साहेबजीकी जय,
श्री बाईजीराजजीकी जय,
श्रीमहाराजा छात्रसालजीकी जय,
श्री सुन्दरसाथजीकी जय,
श्रीसुन्दरसाथ जियावरजी साहेबजीके चरणारविन्दमें हेतसों चित्त दीजिये !! परणाम !!
श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
श्री अर्जुन राज
परणाम