आनन्द आरती संझा कीजे, नवल किशोर निरखि सुख लीजै !
पहली आरती व्रजमें वासा, सब सखियन मिली देखे तमासा !!
दूसरी आरती रासमें आये, अक्षर मनोरथ पूरण कराये !!
तीसरी आरती श्याम सुहाई, सुर असुरन धनी सबन मिलाई !!
चौथी आरती बुद्धजी मन भाई, तारतम ज्योति करी रोशनाई !!
पंचमी आरती विजयाभिनन्दन, जागनी लीला कलियुग निकंदन !!
आरती यह श्री महामति गाई, आसादास सुनत सुख पाई !!
श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
श्री अर्जुन राज
प्रणाम