आरती करूं मारा वालाजीने केरी,
मारे हैयड़े ते हर्ष न माय !
मारा वाला आगल ताल मृदंग झांझ जन्त्र बाजे,
सखियों निरत करे आने गावे !!
मारा वालाजीनुं सुन्दर वदन सुहामनु,
कानी शोभानो नहीं पार !
सखियो कहे मारा वालाजीनां ऊपर,
तन मन जीव करूं बलिहार !!
सुन्दर स्वरूप जुगल दोऊ ऊपर,
श्री महामति जाय बलिहार !!
श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
श्री अर्जुन राज
प्रणाम