आरोग्या रस रूप जुगल धनी, बीड़ी तो सुन्दर लीधी रे !!
कर सिनगार सिंहासन ऊपर, सिनगार आरती कीधी रे !!
चहुं ओर व्रज वनिताओ गावे, मोहनना मन मोहे रे !!
आज हमारे घर आनन्द उच्छव, दीप दीवाली सोहे रे !!
आज रंगनी रेल वही, मारो वालोजी मन्दिर बसिया रे !!
इन्द्रावती पतिरूप जुगल पिया, नवरंगना पीऊ रसिया रे !!
श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
श्री अर्जुन राज
प्रणाम