4/06/2010

सिनगार आरती

सांभाल सैंयर मेरी बात, प्राणनाथ पीव विलसिये !
आपण कीजे मंगलचार, आरती उमंग भर कीजिये !!

राजित जुगल किशोर, सिंहासन कंचन मणि !
अति सुन्दर कंचन थाल, दीपक जोत राजित घणी !!

इन्द्रावती उछारंग, आरती करे अखंड धणी !
बार हजार सखी संग, शोभा सही कहुं तेह तणी !!

बाजत ताल मृदंग, गान करे सखी सहु मली !
भूषण करे झलकार, सुरता पहोंची मन रली !!

एवी आरती अखंड स्वरूप, निरखी हरखि गुण गाइये !
श्री महामति जुगल स्वरूप, निरखि निरखि सुख पाइये !!

श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
श्री अर्जुन राज
प्रणाम