क़यामतनामामें :-
सामान्य जीवोंका विवरण है तो दूसरे प्रकरणमें पयगाम्बरोंका विवरण है. बड़े कयामतनामामें २४ प्रकरण एवं कुल ५३१ चौपाइयाँ हैं. महामतिने इसे छत्रसालको आशीर्वादके रूपमें प्रदान किया था इसलिए प्रकरणके अन्तमें छत्ता अथवा छत्रसाल नाम आता है. इसी उपदेश शैलीमें भी थोड़ासा अन्तर है किन्तु सीधा और स्पष्ट कथन हैं. महामति इस ग्रंथके द्वारा क़यामतके आगमनकी बात करते हैं. सामान्यतया क़यामतका अर्थ होता है ले अथवा प्रलय. इस समयके सात संकेत भी कुरानमें बताए गए हैं. जिनको क़यामतके सात निशान कहा जता है. जैसे कि इस्राफीलके बिगुलकी आवाज सुनते ही कब्रमें-से मूर्दोंका उठना, दाभातुल अर्जका पैदा होना आदि आदि. महामतिने कहा, इतनें वर्ष बीत गए हैं अभी तक कब्रमें से मुर्दे नहीं उठे हैं, रसूलके वचन तो झूठे नहीं है किन्तु हम उनका ठीक अर्थ समझ नहीं पाए हैं. महामतिने इस विषयमें कहा, ब्रह्मज्ञान सुनते ही आत्मामें जागृति आएगी, शरीररूप कब्रमें सोई हुई चेतना ज्ञानकी अवाज सुनते ही जागृत हो जाएगी. जागृत आत्माके लिए संसार अस्तित्वहीन हो जाता है. इसलिए क़यामतका अर्थ मात्र लय नहीं अपितु आत्म जागृति है. जागृत आत्माएँ संसारको नहीं देखती हैं वे तो अपने धनीके प्रेममें मस्त रहती हैं 'ओ खेले प्रेमें पार पियासों, देखनको तन सागर माहिं' ! की भाँती उनकी स्थिति होती है. महामतिने कुरानके विविध सिपारे एवं आयातोंका प्रमाण देकर अनेक प्रसंगोंका उल्लेख कर क़यामतकी स्पष्टता की है !
इस ग्रन्थमें क़यामतके साथ वेद एवं कतेब ग्रन्थ ब्रह्मात्माओंके लिए एक ही परमात्माका सन्देश डे रहे हैं इस बातकी स्पष्टता की है. ब्रह्मात्माओंका अवतरण उनके लिए तारतम ज्ञानका अवतरण एवं इसके द्वारा आत्म जाग्रितिका रहस्य स्पष्ट किया है. प्रत्येक बातकी पुष्टि कुरानकी आयातोंके द्वारा की है. तारीखनामाके द्वारा तो उन्होंने और स्पष्टता कर दी है कि कतेब ग्रंथोंमें क़यामतकी जिस घडीकी चर्चा है वह घड़ी आ गई है. इस प्रकार महामतिने एक एक उदाहरण देकर क़यामतकी बात स्पष्ट की है. इसीलिए यह ग्रन्थ क़यामतनामा कहलाया. आशा है सुज्ञजन इन ग्रन्थोंका लाभ अवश्य लेंगे ! प्रणाम !!
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श्री अर्जुन राज
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