4/01/2010

चन्दन चढावानी

चलो सखी सुन्दरवरजीने निरखिये,
श्यामाजीने जोई जूई मन हरखिये !!

श्यामाजीना अंग हो सुन्दरसाथ,
निरखि हरषि उमंग न मात !!

सुन्दरसाथ बैठे घेर घेरी,
परिक्रमा तो दीजे फेरी फेरी !!

दीपक रंग रे सिंहासन,
छत्री और डांडे झालर शोभा अतिघन !!

तापर कंचन कलश जो होई,
झलहल जोती करी रहे सोई !!

ये रे सिंहासन जोति न मावें,
सखियां तो सनमुख वाणी गावें !!

श्री मंडल नवरंग बईजीने हाथ,
वेनबाई वेन बजावे तिन साथ !!

झरमरबाई झरमरिया जो बजावें,
तानबाई ताननियां जो मिलावे !!

सेनबाई स्वर पुरावे तिन संग,
मनमें तो धरे अति उछरंग !!

ये उछरंग कह्यो न जावें,
सखियां तो प्रेम सहित वाणी गावें !!

श्री चन्दन पुष्प वाहू विध राजे,
सुगंध सर्वे मारा वालाजीने छाजे !!

श्री पियाजीने पूजन इन विध कीजे,
पूरण ब्रह्मजीने पूजन इन विध कीजे !!

श्री श्यामाजीने पूजन इन विध कीजे,
फेर फेर मूल स्वरूप चित्तमें लीजे !!

जो कोई वासना इन घर,
मूला स्वरूपसे न काढें नजर !!

नहीं कोई सुख इन समान,
अंगना तो कोटि बेर कुरवान !!

श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
श्री अर्जुन राज
परणाम