4/07/2010

चतुर्थ प्रहरका उठापन

सब सैयां पोहोर पीछल, तोले तीसरी भोम आवें चल !
मन्दिर आइयां सैयां जब, खुले द्वार दर्शन पाये सब !!

तब आये सबै सुखपाल, श्यामाजी बैठें संग लाल !
दोय दोय सैयां सब संग, मिल बैठ करें कै रंग !!

सुखपाल चलावें मन, ज्यों चाहिये जैसा जिन !
या जमुनाजी या तलावें, आये खेले जो मनके भावें !!

श्री राज श्यामाजी के डेरे, सुखपाल उतारे सब नेरे !
जुत्थ जुदे जुदे वन खेलें, खेल नये नये रंग रेलें !!

तब लग खेलें साथ सब, दिन घड़ी दोय पिछला जब !
सैयां मिलाकर पीउ पासे आवें, झीलनेकी बात चलावें !!

श्री राज श्यामाजी उठकर, उतारे हैं वस्तर !
पेहेनें वस्तर जो झीलन, राज श्यामाजी सैयां सबन !!

इत एक घडीलों झीलें, जल क्रीडा कै रंग खेले !
बाकी दिन रह्यो घड़ी एक, तामें सिनगार कियो विवेक !!

श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर
श्री अर्जुन राज
प्रणाम