3/08/2010

सावधान

आलसीका यश, दुष्टोंकी मित्रता, नपुंसकका कुल, व्यसनीका विद्या, विलासीका सम्पत्ति, कृपणका सुख, असत्यवादी बुद्धि, अनभ्यासीकी स्मरण शक्ति तथा अविवेकीका सबकुछ विनष्ट हो जाता है !
इसीतरह नदी किनारे उगनेवाले वृक्ष, खेतमें फसलके साथ आनेवाले पौधे व घास, कुसंगमें रहने वाले पुरूष, दूसरेके घरमें आधिक जानेवाली स्त्री, अनुशासनहीन एवं अवज्ञाकारी सन्तान, अपव्ययी और विलासी व्यापारी, रिश्वतखोरी अधिकारी और गुप्तचर व्यवस्थाहीन राज्य देरसबेर अवश्यमेव नष्ट हो जाते हैं ! नीति.................
इस जीवन का अंत किसी क्षण भी हो सकता है, वह क्षण कब आ जाए, किसी को नही मालूम, बुद्धिमानी यह है कि वह क्षण आ जाने से पहले, इसी जीवन- काल में, मृत्यु  के बाद पेश आने वाली परलोक- परिस्थिति की पूरी तैयारी कर ली जाए और आज से ही शुरू कर दी जाए !! प्रणाम !!