
चोली:-चोली श्याम रंग की है, बाजू मोहरी, खम्भे पेट, खडपा, उर, कंठ आदि सब जगहों पर बेल, फूल, दताव, खजूरे, बूटियों की तरह-तरह की नकशकारी आई है, जिस जगह पर जैसी शोभा लेनी चाहिए, सब ले रही हैं, चार-तनी, तनी पर कांगरी, दो बन्ध पीठ पर, चार रंग के चार फुम्मक लाल, पीले, पाच, नीले रंग के आए हैं !
साड़ी:-साड़ी लाल रंग की है उसके किनारे पर कांगरी, तीन रंग की है, उस पर लाल, नीली, पीली डोरी आई है, ऊपर बेल और छेड़ों पर बेल-कटाव तरह-तरह की नकशकारी आई है, बीच-बीच में सब जगह पर छापे, बेल बूटियों की बड़ी सुन्दर नकशकारी की हुई है !
जब श्रीराजश्यामाजी वस्त्र पहन कर सिंहासन के ऊपर विराजमान होते हैं उस समय श्रीराजजीमहाराज अपने नूरी कर-कमलों द्वारा पाग बाँधते हैं और चार सखियों मिलकर श्री श्यामजी की चोटी गूंथती है !
सर पाग बांधी चतुराई सों, हकें पेंच हाथ में ले !
भाव दिल में लेके, किन विध कहूँ सुख ऐ !!