
प्रत्येक मनुष्य की क्षमता में अंतर है, उसकी अपनी स्थिति विशेष है । यदि कोई व्याक्ति आप की आशानुसार कार्य नहीं करता तो कोई आश्चर्य नहीं । उसकी परिस्थितियों को समझिये न कि धर्य को तिलान्जलि दे दीजिये । हम कई बार धर्य खो देते हैं जब हम कम समय में अधिक काम करना चाहते हैं । जब कोई कार्य हमारी क्षमता से अधिक है तो इसमें अधीरता व्यार्थ है । दूसरों से कम लेते समय भी इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है । पहले जैसे यदि छ: बजे उठने से कम नहीं निपट सकता तो थोडा शीघ्र उठा जाए । दूसरे कारण के लिये हम उतना ही कार्य भार अपने कन्धों पर लें जितनी हमारी क्षमता है । यदि काम अधिक है ही तो अपनी क्षमता से उसे धैर्य से करते जाइये, विह्वलता की उसमें कोई आवश्यकता नहीं । धैर्य से हम दूसरों का मन जीत कर उन्हें अपना मित्र बनाते हैं । जबकि जल्दबाजी का सदा लोग उपहास करते हैं । कई बार तो अधीर व्यक्ति घृणा का पात्र भी बनता है ।
प्रणाम................. अर्जुन राज्ज