3/01/2010

धैर्य एक महान गुण:-

सुखी जीवन के लिये धैर्य महान गुण है । अधीर व्याक्ति को चैन और सुख कहाँ । अवसर व् समस्या को समझ कर शीघ्र निर्णय करना दक्षता है । एक विवेकी पुरुष का चिन्ह है । निर्मल तथा स्वच्छ बुद्धि धीरता का आधार है । कई व्यक्ति घंटों विचार विमर्श करते हैं, कई विषयों पर बैठकें बुलाई जाती हैं परिणाम फिर भी वान्छित नहीं होता । क्या यह धैर्य है ? नहीं । निश्चयात्मक बुद्धि, वस्तुस्थिति को समझकर विचार देना, अनायास उद्विग्न न होना, छोटे-छोटे कारणों पर अधिक प्रसन्नता अथवा दुःख का प्रदर्शन न होना, धीरता के चिन्ह हैं । यह मन की शिक्षा है । सतत अभ्यास से क्या नहीं पाया जा सकता ? अधीरता स्वयं के लिये ही बुरी नहीं अपितु दूसरों को भी अशांत कर देती है । धैर्य से शत्रु भी वश में हो सकते हैं । गहन से गहन समस्याएं भी सुगमता से सुलझ जाती है । अधैर्य से विचार शक्ति कुंठित होती है । धैर्य से विवेक जाग्रत होता है ।
प्रत्येक मनुष्य की क्षमता में अंतर है, उसकी अपनी स्थिति विशेष है । यदि कोई व्याक्ति आप की आशानुसार कार्य नहीं करता तो कोई आश्चर्य नहीं । उसकी परिस्थितियों को समझिये न कि धर्य को तिलान्जलि दे दीजिये । हम कई बार धर्य खो देते हैं जब हम कम समय में अधिक काम करना चाहते हैं । जब कोई कार्य हमारी क्षमता से अधिक है तो इसमें अधीरता व्यार्थ है । दूसरों से कम लेते समय भी इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है । पहले जैसे यदि छ: बजे उठने से कम नहीं निपट सकता तो थोडा शीघ्र उठा जाए । दूसरे कारण के लिये हम उतना ही कार्य भार अपने कन्धों पर लें जितनी हमारी क्षमता है । यदि काम अधिक है ही तो अपनी क्षमता से उसे धैर्य से करते जाइये, विह्वलता की उसमें कोई आवश्यकता नहीं । धैर्य से हम दूसरों का मन जीत कर उन्हें अपना मित्र बनाते हैं । जबकि जल्दबाजी का सदा लोग उपहास करते हैं । कई बार तो अधीर व्यक्ति घृणा का पात्र भी बनता है ।
प्रणाम................. अर्जुन राज्ज