१. क्रोधको प्रेमसे जीते, बुराईको भलाईसे जीते, लोभको उदारतासे जीते और झूठेको सत्यसे -(धम्मपद)
२. माता, पिता, गुरु, स्वामी, भ्राता, पुत्र और मित्रका कभी मनसे भी क्षण भरके लिए भी विरोध या अपमान नहीं करनी चाहिए - (शुक्रनीति)
३. सबसे छोटा जवाब है करके दिखाना - (हरबर्ट)
४. जो इन्द्रियोंका गुलाम है वह आजाद नहीं है - (सैनेका)
५. ईश्वरकी गुलामी पूरी आजादी है - (बुक आंफ कांमन प्रेयर)
७. मैं कौन हूँ' यह जाननेसे पहले 'मैं क्या हूँ' यह देखो, तब 'मैं कौन हूँ' इसका पता लग जाएगा - (श्री ब्रह्मचैतन्य)
८. समाधि किसकी लगाऊँ ? पूजूँ किसे ? अछूत कहकर किससे अलग रहूँ ? कलह किसके साथ करूँ ? जहाँ भी देखता हूँ अपनी ही आत्मा दिखाई देती है - (मुनि रामसिंह)
९. दुनिया आश्चर्यजनक चीजोंसे भरी हुई है, पर आदमीसे बड़ा कोई आश्चर्य नहीं है - (सोफोकिल्स)
१०. तुम दुनियाके प्रकाश हो, प्रकाशको ढककर नहीं रखा जता, तुम्हारा प्रकाश लोगोंके सामने इस तरह चमके कि वे तुम्हारे नेक कामोंको देखकर ईश्वरके ऐश्वर्यकी झलक पा सके - (संत मैथ्यू )
११. झूठा आनन्द आदमीको कठोर और अहंकारी बना देता है और वह आनन्द दूसरोंको नहीं दिया जा सकता, सच्चा आदमीको दयालु और समझदार बनाता है और उस आनन्दका और लोग भी सदा लाभ लेते हैं - (मौन्टेस्क)
१२. आनन्दका रहस्य त्याग है - (गांधी)
१३. जिस चेहरेको देखकर हृदय प्रसन्न नहीं होता, वह देखने योग्य नहीं, और जिस शब्दमें सुन्दर भावना न हो वह सुनने योग्य नहीं - फारसी !!
१४. सबसे बड़ा अमीर वह है जो गरीबोंका दुःख दूर करता है, और सबसे अच्छ फ़कीर वह है जो अपने गुजारेके लिए अमीरोंका मुँह नहीं देखता - (सादी)
१५. अगर कोई धर्मसे न डिगे और जो कुछ मिले उससे संतुष्ट रहे, तो उसका धर्म उसकी सब इच्छाएँ पूर्ण कर देता है - (श्री कृष्ण )