3/05/2010

आत्मा जागृतके पाँच प्रसंग

श्री कृष्ण प्रणामी धर्म- निजानन्द समप्रदायके आदि आचार्य निजानन्दचार्य  श्री देवचंद्रजी महाराजको वि. स १६७८ भद्र कृष्ण चतुर्दशीको जामनगरमें पूर्णब्रह्म परमात्मा अनादी अक्षरातीत श्रीकृष्णजीने दर्शन देकर तारतम ज्ञान प्रदान किया, पातालसे परमधाम पर्यन्तका अनुभव करवाया एवं ब्रह्मात्माओंको जागृत करनेका दायित्व सौंपते हुए षोडशाक्षर  तारतम महामंत्र प्रदान किया ! उस समय श्रीकृष्णजी एवं श्रीदेवचंद्रजीके मध्य हुई चर्चाको महामतिने पाँच प्रसंगोंके द्वारा व्यक्त किया है ! वे इस प्रकार है,
तूं कौन आई आईटी क्यों कर, कहां है तेरा वतन !
नार तूं कौन खसमकी, द्रढ़ कर कहो बचन !!
अर्थात
(१) तुम कौन हो ?
(२) तुम इस जगतमें क्यों आए हो ?
(३) तुम्हारा घर कहाँ है ?
(४) तुम्हारे स्वामी कौन हैं ?
(५) तुम जागृत अवस्थामें हो या नींदमें ?
वास्तवमें उक्त पाँचों प्रसंग सभी व्याक्तियोंके जीवनके साथ जुड़े हुए हैं जिनका समाधान होने पर ही जीवन सार्थक होगा ! उक्त प्रश्न श्री कृष्णजीने श्री देवचन्द्रजीको पूछे हैं ! जिस प्रकार अर्जुनको माध्यम बनाकर गीताका ज्ञान दिया गया इसीप्रकार श्री देवचन्द्रजीके द्वारा यह समझाया गया है कि अध्यात्म मार्गपर चल रहे सभी साधकोंको इतना ज्ञान होना चाहिए ! इन प्रश्नोंकी ओर उनकी जिज्ञासा होगी तो वे इनको समाधान के लिए प्रयत्न करेंगे ! तभी उनकी यात्रा गंतव्य स्थल पर्यन्त पहुँच पायेगी !!
इससे अधीक जानना हो तो संपर्क कीजिये श्री ५ नवतनपुरी धाम खिजडा मंदिर जामनगर-३६१००१ (गुजरात) 
जगद्गुरु आचार्य श्री १०८ कृष्णमणिजी महाराज के लेख सत्संग सुधा कि ओर से, प्रणाम !!
फोन नंबर- ९९२४२६६३७९ अर्जुन राज