2/19/2010

विचित्र संयोग:-

निजानन्द स्वामी सद्गुरु श्री देवचन्द्रजी महाराज उमरकोटसे चलकर परमात्माकी खोज करते हुए कच्छ पहुंचे और विभिन्न सम्प्रदायोंके साधु- महात्माओंसे मिले, उनकी संगति की, इस प्रकार खोज करते हुए चार वर्ष बीत गए पर मनमें संतोष नहीं हुआ, अत: वे वहांसे चलकर भुजनगर पहुँचे जहाँ उनकी भेंट परम कृपालु श्री कृष्ण भक्त श्री हरिदासजी से हुई, श्री हरिदासजीकी संगति और उनसे निरंतर अपनी जिज्ञासाओंका समाधान पाकर उनके भटकते मनको विश्राम मिला, यह विचित्र संयोग ही था की स्वामी हरिदासजी श्री देवचन्द्रजी महाराजके माता-पिताको सूचना मिली की उनकी आँखोंका तारा उनके पास है, फलत: वे भी वहीं आकर रहने लगे । प्रणाम जी ...........................