श्री ५ नवतनपुरी धाममें शमीं वृक्ष:-
नगर सेठ गांगजीभाईका घर छोड़कर निजानन्द स्वामी जब श्री ५ नवतनपुरी धाम पर आये उस समय एक ही शमी वृक्ष था, उसीके पास आपने रहने के लिए एक कुञ्ज कुटीर बनाया और उसी वृक्षसे लगते एक छोटा सा मन्दिर बनाकर पूजा- पाठ ध्यान करना प्रारम्भ किया, वाही मन्दिर कालान्तरमें आज पांचवी भोम युक्त भव्य रूप लेकर देश-विदेशमें फैले प्रणामी समाजको आह्वान कर उनकी भावनाको पवित्र कर रहा है अर्थात साक्षत परमधामका अखण्ड सुख प्रदान कर रहा है जो महाप्रलय तक स्थायी रहकर उसके बाद अखण्ड हो जाएगा, कारण कि परम पुनीत श्री ५ नवतनपुरी धाम सत्स्वरूप (जहाँ ब्रह्मसृष्टिके नाम पर मुक्ति स्थान बताया गया है) से परे अक्षरधाम, उससे भी नौ लाख कोसकी दूरी पर स्थित अक्षरातीत धाम, परमधामका ही प्रतीक स्वरुप है, ब्रह्मसृष्टि - परमधाम मूल मिलावामें स्थित परात्माके जाग्रत होते ही यह नवतनपुरी धाम भी उनकी स्मृति पटलमें अखण्ड हो जाएगा, यहाँ तो ब्रह्मसृष्टियोंको जाग्रत करनेके लिए ही श्री निजानन्द स्वामी सम्पूर्ण परमधामकी सत्ता लेकर इस धराधाम पर उतारे थे । प्रणाम............अर्जुन राज