2/15/2010

श्री राज्श्यमाजी की जय !! प्रणाम !!


सदा आनंद मंगल में रहिये, सदा आनंद मंगल में रहिये !

महाप्रसाद और चरणामृत, ये सुख साथ ही में पाइये !! १ !!

इश्क सुराही प्रेम का प्याला, अन्दर आतम छकि रहिये !! २ !!

तन सोवे रूह निशदिन जगे, धामधानी के चरणों रहिये !! ३ !!

अष्ट प्रहर दिन चौंसठ घड़ियाँ, निशदिन पीऊ- पीउ - पीउ कहिये !! ४ !!

छ्त्रशाल भजो धाम धनी को, और देवन सों क्या चाहिये !! ५ !!

!! प्रणाम प्रणाम प्रणाम प्रणाम प्रणाम !!
श्री अर्जुन राज