
सदा आनंद मंगल में रहिये, सदा आनंद मंगल में रहिये !
महाप्रसाद और चरणामृत, ये सुख साथ ही में पाइये !! १ !!
इश्क सुराही प्रेम का प्याला, अन्दर आतम छकि रहिये !! २ !!
तन सोवे रूह निशदिन जगे, धामधानी के चरणों रहिये !! ३ !!
अष्ट प्रहर दिन चौंसठ घड़ियाँ, निशदिन पीऊ- पीउ - पीउ कहिये !! ४ !!
छ्त्रशाल भजो धाम धनी को, और देवन सों क्या चाहिये !! ५ !!
!! प्रणाम प्रणाम प्रणाम प्रणाम प्रणाम !!
श्री अर्जुन राज