तेरे चरणों में हे श्याम, दो फूल चढाने आया हूँ !
दर्शन की प्यासी है अखियाँ, दर्शन करने आया हूँ !!
दिदार को आश लिय श्याम, मंदिर तक तेरे आया हूँ !
श्रधाकी थाली में श्याम, प्रेम का फूल सजाया हूँ !!
पिताम्वर रेशम के श्याम, भेट में तेरे लाया हूँ !
दर्शन की प्यासी है अखियाँ, दर्शन करने आया हूँ !!
जबतक तन में प्राण रहे श्याम, करूं सदा तेरी पूजा !
तन छूटे तूही मिले श्याम, और न कोई मिले दूजा !!
दया की सागर हे श्यामाश्याम, सादर शीश झुकता हूँ !
दर्शन की प्यासी है अखियाँ, दर्शन करने आया हूँ !!
रचना श्री अर्जुन राज
श्री ५ नवतनपुरी धाम