2/20/2010

श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर:-

यहाँ एक खीजड़ा (शमी) का वृक्ष है, जिसके नीचे श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर बनाकर धर्मपीठ सद्गुरु श्री देवचन्द्रजी महाराजने स्थापित किया, इसी वृक्षके नीचे बैठकर सद्गुरु महाराज कथा- चर्चा किया करते थे, सुन्दरसाथकी संख्या बढती गई, ग्रीष्म ऋतु आई तो एक दिन उसी शमी वृक्षकी टहनी तोड़कर दातौन करके, अर्द्ध भागको पौधेकी तरह लगा दिया, जो थोड़े दिनोंमें काफी विशाल आकारका हो गया वे दोनों शमीके वृक्ष आज दिन तक अपनी बांहरूप शाखाओंसे सुन्दरसाथको आशीर्वाद देते प्रतीत हो रहे है ।
शमी वृक्षको गुजरती भाषामें खीजड़ा कहा जाता है, अत: उन वृक्षोंके वहाँ होनेके कारण जामनगरकी जनता इसे खीजड़ा मंदिरके नामसे जानती है, वास्तवमें यहाँ श्री कृष्ण प्रणामी मन्दिर है, प्रमुख द्वार पर सबसे ऊपर श्री श्री १०८ नवतनपुरी धाम और नीचे कुछ छोटे अक्षरोंमें श्री कृष्ण प्रणामी मन्दिर लिखा है, यह नाम स्वयं सद्गुरु श्री देवचन्द्रजी महाराजने रखा है, यही कारण है कि उनके बाद जितने भी मन्दिर बने सबका नाम इसी प्रकार रखा गया, इस नाम को परिवर्तन करनेका अधिकार किसीको भी नहीं है, जहाँ पर प्रणामी होंगे वहाँ पर मन्दिरका नाम श्री कृष्ण प्रणामी मन्दिर ही होगा । प्रणाम .................