2/28/2010

श्री ५ नवतनपुरी धाममें युगल शमीवृक्ष:-

इस एकान्त बगीचेमें पहले एक ही शमी (खिजडा) का वृक्ष था, निजानन्द स्वामी सद्गुरु श्रीदेवचन्द्रजी महाराज गांगजीभाईका घर छोड़कर वि,सं १६८७ कार्तिक शुक्ल त्रयोदशीके दिन प्रात: काल दस घड़ी दिन चढ़ते यहाँ आकर उसी शमी वृक्षके नीचे बैठे गये और छोटा-सा श्री कृष्ण प्रणामी मन्दिर अपने हाथोंसे थम्भोंमें बन्धन बाँधकर बनाया और आद्यधर्मपीठकी स्थापना की एवं इसीमें रहकर पूजा-पाठ- चर्चा करने लगे, श्रोताओंकी संख्या दिन प्रतिदिन बढती गई, नगरके चौधरी -वैष्णव लोग आपकी कथा श्रवण हेतु आने लगे, जो पहले कानजी भट्टकी कथामें जाया करते थे, सद्गुरु महाराजके यहाँ आनेसे सभी दैवत यहाँ आ गई, जिससे ब्रह्म कथाका पूर खुक प्रवाहित होने लगा,
ग्रीष्म ऋतुका समय आया, श्रोतागण प्रकृतिके नियमानुसार सूर्य देव के तापसे पीड़ित होने लगे, यह देख सद्गुरु महाराजने एक दिन प्रात: काल उसी खिजडा वृक्षकी एक टहनी तोड़कर दातौन किया और उसे पौधेकी तरह लगा दिया, सद्गुरु महाराजके तपोबलसे वह थोड़े ही दिनोंमें विशाल वृक्षके रूपमें परिणत हुआ, जिससे सुन्दरसाथको शीतल छाया मिली और आनन्द हुआ ।
ये दोनों वृक्ष आज भी हैं और परमधामकी ब्रह्मसृष्टि सुन्दरसाथको भवरोग निवारण औषधि प्रदान कर रहे हैं,
जिस कन्याका विवाह नहीं हो रहा हो तो वह छ: महीने तक नित्य नियम पूर्वक जल चढ़ाती है तो उसकी शादी योग्य वरके साथ हो जाती है, जामनगरमें यह तथ्य भी प्रसिद्ध हो चूका है ।
इन खिजडा वृक्षोंके चमत्कारकी अनेक कथाएं हैं, जिनका संकलन करना संभव नहीं है, न जाने कितने लोगोंके असाध्य रोग दूर हुए हैं और कितने लोगोंको सन्तानकी प्राप्ति भी हुई है, आस-पासके गाँवोंमें एसे अनेक लोग हैं, जो मिलने पर अपनी सन्तानको दिखाते हुए कहते हैं कि यह श्री ५ नवतनपुरी धामकी प्रसादी है ।
श्री तारतम ज्ञानके उदय होनेसे एवं सद्गुरु महाराजकी तपोभूमि तथा श्री प्राणनाथजीकी जन्मभूमि और मंत्रदीक्षा गुरुद्वार होनेसे इस पवित्र तीर्थका आध्यात्मिक एवं धार्मिक महत्व तो है ही, इसके साथ-साथ कई चमत्कारपूर्ण कार्य सिध्द होनेसे इसका भौतिक महत्त्व भी अग्रस्थान पर है । प्रणाम ........................अर्जुन राज