
ग्रीष्म ऋतुका समय आया, श्रोतागण प्रकृतिके नियमानुसार सूर्य देव के तापसे पीड़ित होने लगे, यह देख सद्गुरु महाराजने एक दिन प्रात: काल उसी खिजडा वृक्षकी एक टहनी तोड़कर दातौन किया और उसे पौधेकी तरह लगा दिया, सद्गुरु महाराजके तपोबलसे वह थोड़े ही दिनोंमें विशाल वृक्षके रूपमें परिणत हुआ, जिससे सुन्दरसाथको शीतल छाया मिली और आनन्द हुआ ।
ये दोनों वृक्ष आज भी हैं और परमधामकी ब्रह्मसृष्टि सुन्दरसाथको भवरोग निवारण औषधि प्रदान कर रहे हैं,
जिस कन्याका विवाह नहीं हो रहा हो तो वह छ: महीने तक नित्य नियम पूर्वक जल चढ़ाती है तो उसकी शादी योग्य वरके साथ हो जाती है, जामनगरमें यह तथ्य भी प्रसिद्ध हो चूका है ।
इन खिजडा वृक्षोंके चमत्कारकी अनेक कथाएं हैं, जिनका संकलन करना संभव नहीं है, न जाने कितने लोगोंके असाध्य रोग दूर हुए हैं और कितने लोगोंको सन्तानकी प्राप्ति भी हुई है, आस-पासके गाँवोंमें एसे अनेक लोग हैं, जो मिलने पर अपनी सन्तानको दिखाते हुए कहते हैं कि यह श्री ५ नवतनपुरी धामकी प्रसादी है ।
श्री तारतम ज्ञानके उदय होनेसे एवं सद्गुरु महाराजकी तपोभूमि तथा श्री प्राणनाथजीकी जन्मभूमि और मंत्रदीक्षा गुरुद्वार होनेसे इस पवित्र तीर्थका आध्यात्मिक एवं धार्मिक महत्व तो है ही, इसके साथ-साथ कई चमत्कारपूर्ण कार्य सिध्द होनेसे इसका भौतिक महत्त्व भी अग्रस्थान पर है । प्रणाम ........................अर्जुन राज