श्री निजानन्द स्वामी सद्गुरु श्री देवचन्द्रजी महाराज भुज नगरमें शास्त्र तथा भक्तिका रहस्य समझाते - आत्मसात करते हुए स्वामी श्री हरिदासजीके पास चार वर्ष तक रहे, जब वे उनसे भी गुरुका गौरव पाने लगे तब उन्हें अच्छा नहीं लगा, फल स्वरूप स्वामी हरिदासजीके अनेक अनुनय-विनय करने पर भी वे वहाँ नहीं रुके और अपने माता-पिताको साथ लेकर जामनगर आ गये, उस समय उनकी अवस्था पच्चीस वर्षकी थी । प्रणाम..........