2/19/2010

परमात्माकी खोजमें गृह त्याग:-

परिवारके धार्मिक वातावरण और सुसंस्कारोंका प्रभाव सद्गुरु श्री देवचन्द्रजी महाराजके बालक मन पर पड़ना स्वाभाविक ही था, फलत: श्रीमन्निजानंद स्वामी सद्गुरु श्री देवचन्द्रजी महाराज बाल्यकालसे ही सांसारिक सुख, भोगादिसे विरक्त रहा करते थे, सांसारिक कोई भी वास्तु उन्हें अच्छी नहीं लगती थी, संसारके बहुमूल्य रत्नों और वैभवोंकी अपेक्षा उनको मानव जीवनकी सार्थकता कहीं अधिक मूल्यवान दिखाई देने लगी, इस प्रकारकी अन्तर्मुखी वृतिने माता-पिताके लड़-प्यार, सुख- सुविधासे उनको सौलह वर्ष सात माहकी अवस्थामें ही विरक्त कर दिया और वे सब कुछ छोड़कर पूर्णब्रह्म परमात्माकी खोजमें घरसे निकल पड़े । प्रनामजी । प्रनामजी । प्रनामजी ........