श्री मारफत सागर एवं क़यामतनामा ग्रन्थ श्री कृष्ण प्रणामी धर्म-निजानन्द सम्प्रदायके परम पावन महाग्रन्थ श्री प्राणनाथजीकी दिव्य वाणी श्री तारतम सागरके क्रमश: त्रयोदश एवं चतुर्दश ग्रन्थ हैं !
मारफत सागर:-
मरिफतका अर्थ पूर्ण पहचान होता है, इसीसे इस ग्रन्थका नाम मारफत सागर पड़ा, इसमें चौदह प्रकरण एवं १०३४ चौपाइयाँ हैं, यद्यपि यह ग्रन्थ कयामतनामासे पश्चात् अवतरित हुआ है तथापि जिल्द बनाते हुए इसे क्यामतनामासे पूर्व रखा गया. महामतिने देह छोडनेसे पूर्व सन्त केशवदासजीके इस ग्रंथके प्रकरणोंका सम्पादन एवं पूरी वाणी तारतम सागर ग्रंथके सकलनका दायित्व सौपा था. इस ग्रंथके आरंभ एवं समापन पर मसौदाके द्वारा उन्होंने इस कार्यको पूर्ण करनेका साकेत दिया है.
ग्रंथारंभमें परमधाम मूलमिलावेकी परिचर्चाके द्वारा ब्रह्मात्माओंका अवतरण, प्रेमका महत्त्व, श्रीराजजीकी सर्वमूलता आदि स्पष्ट कि है. दूसरे प्रकरणमें ब्रह्मात्माओंकी जागृतिके लिए अवतरित तारतम ज्ञानका रहस्य स्पष्ट किया. तदनन्तर रसूलके अनुयायियोंका विभाजन, न्यायकी रीत, कुरानके गूढ़ संकेतोंका रहस्य, तीन प्रकारकी सृष्टिके मनोभाव, आचरण, तीन फरिस्तोंका विवरण, न्यायका विवरण, रसूलकी भविष्यवाणी, उनके द्वारा परमात्मासे की गई प्रार्थनाका उल्लेख है. कयामतके समय पर दिखने वाले संकेतोंका उल्लेख रसूल मुहम्मदने पहले ही कर दिया था जिसका सकलन कुरान एवं हदीस ग्रंथोमें है उसका रहस्य महामतिने यहाँ पर स्पष्ट किया है. कुरानके अनेक रहस्य आज भी अनुत्तरित माने जाते हैं उनका स्पष्टीकरण महामतिने आजसे ३५० वर्ष पूर्व कर दिया था किन्तु बाह्यकर्मको प्राधान्य देनेवाले लोग आज भी उस पर विचार नहीं करते. कुछ विद्वान महामतिके इन स्पष्टीकरणोंसे प्रभावित तो अवश्य होते हैं किन्तु उनके स्वीकार करनेमें उन्हें भी भय होता है !
महामतिने इस ग्रन्थमें भारतवर्षमें लहराते हुए धर्मध्वजका विवरण दिया है, साथमें यह स्पष्टता कि की अब बह्यकर्मकाण्डका ध्वज अपने मूलसे हट गया है. खालीफोंके द्वारा पूछे जाने पर रसूल मुहम्मदने कहा था कि कलका दिन क़यामत (फरदा रोज क्यामत) है. महामतिने यहाँ पर उसका भी स्पष्टीकरण किया है. रसूल मुहम्मदने कहा था कि क़यामतके समय मेरे भाई आएँगे तब मैं भी उनके साथ आऊंगा. महामतिने इस समूहको ब्रह्मात्मओंका समूह कहा है. इस प्रकार मारफत सागरमें कुरानके अनेक रहस्य स्पष्ट किए गए हैं. तारतमज्ञानके द्वारा ही यह संभव हुआ है इसलिए ब्रह्मज्ञान (इलाम लुन्दनी) तारतम ज्ञानके द्वारा होनेवाले अनुभव अथवा पूर्ण पहचानको मारिफत कहा है. प्रणाम !!
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श्री ५ नवतनपुरी धाम खिजडा मन्दिर जामनगर
श्री अर्जुन राज
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