5/04/2010

सनंध ग्रन्थ महात्म्य:-

भूमिका
श्री सनंध ग्रन्थ श्री कृष्ण प्रणामी धर्म-निजानन्द सम्प्रदायके परम पावन महाग्रंथ महामति श्री प्राणनाथजीकी दिव्य वाणी श्री तारतम सागरका पञ्चम ग्रन्थ है ! विश्वमें प्रचलित भिन्न-भिन्न धार्मिक मत-मतान्तरों, मान्यताओं, विचारों एवं सिद्धान्त पृथक-पृथक अथवा मिश्रित रूपमें समाहित होनेसे महामति श्री प्राणनाथजीके समग्र उपदेशके नवनीतको "श्री तारतम सागर" कहा गया है ! इस विशालकाय ग्रन्थमें धर्मके सिद्धान्त, दर्शन, साधना पद्धति एवं मान्यताओंके साथ साथ परमात्माका धाम, स्वरूप, नाम तथा लीलाओंका विशद वर्णन है ! विभिन्न मत-मतान्तर एवं धर्ममें प्रचलित बाह्य आडम्बरसे मुक्त होकर धर्मके शुद्धस्वरूपके पालनकी प्रक्रिया तथा एक उदात्त, सुशिक्षित एवं स्वस्थ समाजकी रचनाकी बात इसमें कही गई है ! प्रत्येक सुन्दरसाथके लिए अपने मूल स्वरूप पर-आत्मा, मूलघर परमधाम एवं अपने स्वामी पूर्णब्रह्म परमात्माकी पहचानके लिए मार्गदर्शिका होनेसे इस महाग्रन्थको पूर्णब्रह्म परमात्माकी वांग्मय मूर्तिके रूपमें श्री कृष्ण प्रणामी मन्दिरोंमें पधराकर उसका पूजन, पठन तथा परायण किया जाता है ! इसमें हिन्दी, गुजराती सिंधी, अरबी आदि भाषाओं तथा अरबी फ़ारसी मिश्रित हिन्दी एवं जाटी आदि बोलियोंका प्रयोग हुआ है !
सनंधका अर्थ प्रमाण होता है ! महामतिने मुग़ल शासक ओरंगजेब एवं उनके दरबारियों द्वारा धर्मके नाम पर किए जा रहे अत्याचारोंको रोकने लिए उनको अपने संदेशके साथ कुरानके प्रमाण दिए थे ! इसलिए इस ग्रंथका नाम सनंध रखा गया !
इसमें कुल ४७ प्रकरण एवं १६९१ चौपाईयाँ हैं ! इसका अवतरण काल वि.सं. १७३५/३६ मन गया है ! इसकी भाषा हिन्दी है ! इसमें दो प्रकरण अरबी एवं एक सिन्धी भाषामें हैं !
महामतिने सर्वप्रथम शब ए म्याराज अर्थात दर्शनकी रात्रिका रहस्य स्पष्ट किया ! तदन्तर रसूलका प्रमाण देकर हिन्दी भाषाकी आवश्यकता पर बल दिया ! आजसे ३५० वर्ष पूर्व ही उन्होंने कहा था कि भारतकी राष्ट्रभाषा हिन्दी होनी चाहिए ! प्रकरण ४ से १८ पर्यन्त कलश ग्रंथके खोज एवं विरहके प्रकरण थोड़े शब्द परिवर्तनके साथ रखे हैं ! तत्पश्चात कलमाका स्पष्टीकरण, कुरानका रहस्य, मुस्लिमोंके आचरण, ब्रह्मात्माओंके लक्षण, रसूलकी पहचान, नबी और नारायणके द्वारा नरकगामी लोंगोका आचरण एवं दूसरे प्रकरणमें धर्मके तथाकथित अग्रणीयोंकी स्थिति स्पष्ट की ! एक ओर बिना एक महम्मद एवं सो कहाँ है मुहम्मद इन प्रकरणोंके द्वारा मुहम्मदकी यथार्थता एवं पहचानकी बात कही तो दूसरी ओर 'सनन्ध इमाम रसूलकी' के द्वारा इमाम और रसूलकी स्पष्टता कर दी ! एक प्रकरणमें दज्जालका परिचय एवं भूमिका बता दू है तो दूसरे प्रकरणमें इमामका प्रताप समझाकर कजा (न्याय) की बात कही ! अरबी एवं सिन्धीमें समझानेका प्रयत्न किया ! ईशा और इमामका महत्त्व समझाकर उनके द्वारा लोगोंको प्राप्त होने वाला न्याय स्पष्ट किया और भिन्न-भिन्न देवदूतोंके स्थान एवं महत्त्व समझाकर बहिस्त एवं क़यामतकी स्पष्टता की !
इस जगतमें ब्राह्मी सन्देश परमात्माके आदेशके द्वारा ही प्राप्त होता है ! पूरे एक प्रकरणके द्वारा इस आदेशका महत्त्व समझाकर नूर और नूरतजल्ला अर्थात अक्षरधाम एवं अक्षरातीतका रहस्य स्पष्ट किया ! एक प्रकरणमें परमात्माको न समझकर मात्र बाह्य आधाम्बर करानेवालोंके प्रति कटाक्ष भी किया है ! अन्तमें बड़ी पत्री एवं छोटी पत्रीके द्वारा अपने अनुयायियोंको समझाया कि वेद और कतेब दोनोंमें परमात्माके एक होनेकी बात कही है ! इसलिए सभी मत मतान्तर एवं धर्मग्रंथोंके भावको समझाकर आगे बढ़ना चाहिए ! वास्तवमें जागनीकी यथार्थता ही यही है ! इस प्रकार सनन्ध ग्रंथके द्वारा महामतिने धर्मग्रन्थोंका प्रमाण देकर परमात्माकी बात समझाई है !! प्रणाम !!

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श्री ५ नवतनपुरी धाम खिजडा मन्दिर जामनगर 
श्री अर्जुन राज
प्रणाम