11/03/2010

दीपावलीकी शुभकामना

दीपावलीकी शुभकामना 
जगद्गुरु आचार्य श्री १०८ कृष्णमणिजी महाराज 
धर्मप्राण सुन्दरसाथजी !
आप सभीको दीपावलीकी हार्दिक शुभकामनाएँ | आपको विदित ही है कि दीपावली प्रकाशका पर्व है | यह पर्व अपने अंत:करणमें ज्ञानरूपी दीपक प्रज्जवलित कर अज्ञानरुपी अन्धकार दूर करनेके लिये प्रेरणा देता है | तारतम ज्ञानके द्वारा हृदयको प्रकाशित कर आत्माका अनुभव करने लगेंगे तो प्रेमलक्षणा भक्ति प्रकट होगी और हम पूर्णब्रह्म परमात्मा श्रीराजजीके सान्निध्यका अनुभव कर पाएँगे | महामतिने इस उत्सवके लिए कहा है |
दीपनो मेलो रे ओच्छव अति भलो, जिहां सणगार करो धनी सर्व साथ |

दीपावलीके पावन पर्व पर आत्माका श्रृंगार होना चाहिए | वह प्रेमसे ही संभवहै | वास्तवमें आत्माका श्रृंगार ही प्रेम है | प्रेमसे ही परमात्मा मिलन संभव है | महामतिने कहा भी है, 
"प्रेम खोल देवे सब द्वार"
"प्रेम पहोंचावे मिने पलक"
प्रेमके द्वारा ही पारके द्वार खुलेंगे और श्री राजजीके सानिध्यका अनुभव होगा | यह प्रेम विशुद्ध प्रेम है | इसमें मायाके कोई विकार नहीं होंगे | दुनियाँमें जिसको प्रेम कहा जता है वह विषयोंका विकार है उसकी ओर उन्मुख होनेसे पतन होगा | महामतिने  जिस प्रेमकी चर्चा की वह आत्माका प्रेम है | ब्रह्मात्माएँ यही श्रृंगार धारण कर श्रीराजजीके सान्निध्यका अनुभव करेंगी |

सुन्दरसाथजी ! ब्रह्मात्माओंके लिए ही तारतमज्ञानका अवतरण हुआ है | यह ज्ञान हृदयको प्रकाशित करनेके लिए है | इसके द्वारा आलोकित हृदयमें प्रेमका अंकुर फूटेगा | तदनन्तर यह प्रेम आगे बढ़ते-बढ़ते अपने प्रियतम धनी पूर्णब्रह्म परमात्मा तक पहुँचेगा | इसी प्रेमके द्वारा हमें अपने प्रियतम धनी पूर्णब्रह्म परमात्माका अनुभव होगा | इस अनुभवको और आगे बढ़ाते जाएँ | कभी न कभी हमें अपने धनीके दर्शन अवश्य होंगे |

ध्यान रखें ! आत्मा और परमात्माको जाननेके लिए तारतम ज्ञान एवं आत्मा और परमात्माकी अनुभूतीके लिए प्रेमलक्षणा भक्तिका अवतरण हुआ है | प्रेम प्रकट होने पर हम हर क्षण श्री राजजीका अनुभव कर पायेंगे | हमें ऐसा अनुभव होगा कि मैं हर क्षण श्रीराजजीके सान्निध्यमें हूँ | 
दीपावलीका यह पावन पर्व सभी सुन्दरसाथको अपने धामधनीकी अनुभूतिके लिए सहयोगी बने | प्रणाम 

श्री ५ नवतनपुरी धाम जामनगर