प्रणामी धर्म की मूल परम्परायें:-
(१) प्रिय सुन्दरसाथजी हमारा मूल महामंत्र निजनाम श्री कृष्ण जी से शुरू होता है. अत: हमें इसी का जाप करना चाहिये !
(२) आद्य जगद्गुरु आचार्य श्री १०८ श्री देवचन्द्रजी महाराजको पूर्णब्रह्म परमात्मा अक्षरातीत श्री कृष्णजीने प्रकट होकर जो तारतम महामंत्र सद्गुरु श्री को दिया था आज भी पूज्य गुरुवार मंत्र देते समय षोडाक्षर तारतम महामंत्र शिष्यों को प्रदान करते हैं !
(३) श्री कृष्ण प्रणामी निजानन्द सम्प्रदायमें अखण्ड परमधाम में रहने वाले पूर्णब्रह्म परमात्मा अक्षरातीत श्री कृष्णजी, जो सभी के प्राणों के नाथ हैं, उन्हीं श्री कृष्णजी के हम ध्यान करते हैं. अत: उन्हीं श्री कृष्ण प्यारे का सर्व प्रथम हमें जयकारा लगाना चाहिय !
(४) आद्यधर्मपिठाधिस्वर पूज्यपाद जगद्गुरु आचार्य श्री १०८ श्री देवचन्द्रजी महाराज ने वि. सं. १६८७ कार्तिक मास में आद्यधर्मपिठका स्थापना किया है, तभी से अखिल प्रणामी जनता इसे अपना मूल धर्म स्थान मानती है. श्री ५ नवतनपुरी धाम खिजडा मन्दिर जामनगर !
(५) श्री ५ नवतनपुरी धाम में श्री राजश्यमाजी की सेवापूजा निम्न अनुसार किया जाता है. प्रात: ५.१५ मे मंगल (दर्शन) आरती. ९. बजे सिनगार आरती, ११. बजे राजभोग आरती, दोपहर ३ बजे उठापन तथा बाल भोग, साम ७. बजे संध्या आरती, रात को ८.३० में निरत सत्संग तथा ९. बजे सयन आरती और श्री राजश्यमाजी कि पौढ़ावानी अर्थात सयन- चुन-चुन कालिया में सेज बिछाऊं, बंगलन फूल भराऊं, सेज सुरंगी पर पियाजी पौढ़ाऊं, करसे बीड़ी आरोगाऊं !
(६) श्री कृष्ण प्रणामी (निनानन्द) सम्प्रदाय का स्थापना ४२७ वर्ष पूर्व आद्य जगद्गुरु आचार्य श्री १०८ श्री देवचन्द्रजी महाराज ने किया तथा उन्होंने ही पाताल से लेकर परमधाम तक का खुलासा किया तथा पूर्णब्रह्म परमात्मा अक्षरातीत धनी का पहिचान समस्त मानव जाती को करवाया !
(७) उसी परम्परा को कायम रखने वाले श्री कृष्ण प्रणामी (निजानन्द) सम्प्रदाय का वर्तमान जगद्गुरु आचार्य श्री १०८ श्री कृष्णमणिजी महाराज है जो भारत वर्ष के गुजरात राज्य के जामनगर सहर स्थित आद्यधर्मपिठ श्री ५ नवतनपुरी धाम खिजडा मन्दिर मे विराजमान है ! प्रणाम
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श्री अर्जुन राज